नेपाली पैसे के आगे कमजोर हुआ भारतीय रुपया– नेपाल में भारतीय रुपये में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है. सरकारी कार्यालय और दुकानें अब भारतीय नोट स्वीकार नहीं करते। ऐसे में भारतीयों के लिए नेपाल में नोट बदलना मुश्किल हो गया है।
पहले भारतीय सौ रुपए के बदले 160 से 162 रुपए तक के नेपाली नोट लिए जा सकते थे। फिर भी वहां अब मनमानी होने लगी है और भारतीयों को जो भी दिया जाए उसे लेने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
जब आप 500 रुपए खर्च करते हैं तो नेपाली नोट कम से कम 800 के होने चाहिए, 700 या 750 रुपए के नहीं।
भंसार कार्यालय में भारतीय नोट स्वीकार नहीं किये जाते
नेपाल में प्रवेश करने से पहले भारतीयों को वाहन का भंसार लेना होगा। जब भारत से लोग नेपाल जाते थे तो अपने साथ भारतीय नोट ले जाते थे, जो हर जगह आसानी से मिल जाते थे।
भारत में नोटबंदी के बाद नेपाल ने दो हजार और पांच सौ के नोटों पर प्रतिबंध लगा दिया। नेपाल में अब कोई दस रुपये का नोट नहीं लेता.
इसके बावजूद भंसार कार्यालय नेपाल पहुंचने से पहले भारतीय नोट भी स्वीकार नहीं करेगा। बिचौलियों को पांच सौ रुपये के नोट मात्र 700 से 750 रुपये ही पड़ रहे हैं.
नेपाली नोट बदलने वालों के अनुसार, नेपाली क्षेत्र में ले जाए जाने वाले भारतीय नोटों की संख्या जितनी अधिक होगी, कीमत उतनी ही कम होगी।
धार्मिक स्थानों पर जाने में परेशानी
नेपाल के हिलासी शिव मंदिर में इस समय भारतीय भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। नेपाल से हिलेसी की यात्रा के लिए श्रद्धालु प्रतिदिन विभिन्न प्रकार के वाहनों का उपयोग करते हैं। जनकपुर और काठमांडू भी पशुपतिनाथ महादेव के दर्शन के लिए लोकप्रिय स्थान हैं।
जब से भारतीय नोट बंद हुए हैं, लोग भारत में कुछ भी खरीदने से झिझक रहे हैं। पिछले तीन-चार महीनों में चीजें इस तरह बदल गई हैं. जयनगर चैंबर ऑफ कॉमर्स के महासचिव अनिल बैरोलिया के अनुसार जनवरी से फरवरी तक स्थिति ऐसी ही रहेगी।
व्यवसाय पर नकारात्मक प्रभाव
अनिल बरोलिया के अनुसार सभी सीमावर्ती बाजारों पर बहुत नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। साथ ही नेपाली ग्राहक भी नहीं आ रहे हैं। ये कारक भी दोनों देशों के बीच संबंधों को खराब करने में योगदान दे रहे हैं।
एक परिवार के तौर पर नेपाल से हमारा बेटी-रोटी का रिश्ता है, इसलिए वहां हमारे रिश्तेदारों के पास बहुत सारे भारतीय रुपये हैं। नेपाल में कारोबारी माहौल आसान हुआ करता था. नतीजतन, ये लोग अब अपने खोए हुए सामान की कीमत चुकाने को मजबूर हैं।
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